Sunday, September 27, 2009

काश कोई और हमारे लिए जी ले

काश कोई और हमारे लिए जी ले
जैसे हम जीते किसी और के लिए
उनके हसी के लिए
हम रोना भूल जाते
हम रोते रोते रोते
उनके लिए हँसाने लग जाते
हमारे ख्वाब भूल के
हम उनके ख्वाबों में रंग भरने लग जाते
उनकी दुनिया में ही
हम अपनी दुनिया बसा लेते
इस दुनिया के होकर भी
हम उस दुनिया के हो जाते
कोशिश कर के भी
ना हम खुद को रोक पाते
उनके होते हुए भी
कभी भी ना अपने कहलाते

3 comments:

Unknown said...

hadas tusi gr8 ho...............

Unknown said...

Hadas, i agree with Chetan?
anyways, kay jhala tula ashi kavita lihayala..

Unknown said...

Very nice one.