Wednesday, January 28, 2009

हम ना समझे थे बात इतनी सी

हम ना समझे थे बात इतनी सी
बंद आँखों के सपने ना होते पुरे
तो ये तो सपने हैं खुली आँखों के
जो दिखते हे की कभी हो नहीं सकते अपने
फ़िर भी हम दौडे जा रहे हैं
आशाओं के पुल बनाते हुए
सच्चाई को झुटलाते हुए
दूर सच्चाई से भागते हुए ..जा रहे है हम कहाँ .
यह बात समझ के भी ना समझ की तरह
हम जा रहे हैं कहाँ

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